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Wednesday 17 October 2018

सोंठ या सूखी अदरक के फायदे और गुण




  • ·         सोंठ को पानी में पीसकर कनपटी के पास लेप करने से माइग्रेन से छुटकारा मिलता है
  • ·         शहद के साथ मिला कर इसे लेने से बुखार से राहत मिलती है  
  • ·         नींबू मिलाकर खाने से भूख में बढ़ोतरी होती है
  • ·         सौंठ और धनिया का काढ़ा बना कर पीने से पेट दर्द और कब्ज़ से छुटकारा मिलता हैं
  • ·         सोंठ को पीसकर बकरी के दूध में मिला कर नाक में इसकी कुछ बूंदे टपकाने से सिरदर्द से राहत मिलती हैं
  • ·         सोंठ, जायफल को पीसकर तिल के तिल के में डालकर, उसमें भीगी हुई पट्टी जोड़ों पर लगाने सेजोड़ों के दर्द में आराम मिल सकता है।
  • ·         सोंठ, हींग और काला नमक मिलाकर लेने से गैस की समस्या में लाभ होता है।
  • ·         सोंठ और कैरम के बीजों को नींबू के रस में भिगोकर छाया में सुखाकर प्रतिदिन सुबह लेने से गैस और पेडू के दर्द में आराम मिलता है।
  • ·         सोंठ को दूध में उबालकर, ठंडा करके पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है।
  • ·         पसलियों में दर्द होने पर इसे पानी में उबालकर ठंडा कर दिन में कम से कम चार बार पीने से लाभ होता है।
  • ·         सोंठ में कैंसररोधी गुण भी मौजूद होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं। इसके अलावा गर्भाशय के कैंसर की संभावनाओं को कम करने में भी यह फायदेमंद है।
  • ·         सोंठ से पसीने को निकालने में भी सहायता मिलती हैं। जिससे शरीर का तापमान कम किया जा सकता हैं। और इससे धीरे-धीरे शरीर से ज़हरीले तत्व भी बाहर निकल जाते हैं। यानी की यह बुखार को कम करने में मदद करता हैं। शहद के साथ मिला कर इसे लेने से बुखार से राहत मिलती हैं।
  • ·         बेल और सोंठ का चूरन गुड़ में मिला कर छाछ के साथ पीने से दस्त में आराम मिलता हैं।


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Thursday 28 May 2015

लू लगने के लक्षण, कारण और बचने के कुछ घरेलू उपाय (Loo lagna or Heat Stroke)




लू लगना या हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) गर्मी के मौसम की बीमारी है  "लू" लगने का प्रमुख कारण शरीर में नमक और पानी की कमी होना है। पसीने की "शक्ल" में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकलकर खून की गर्मी को बढ़ा देता है। शरीर के तापमान में वृद्धि को ही लू लगना कहते हैं
 


लू लगने के लक्षण
  • सिर में भारीपन मालूम होने लगता है। 
  • नाड़ी की गति बढ़ने लगती है। 
  • साँस की गति ठीक नहीं रहती तथा शरीर में ऐंठन-सी लगती है। 
  • खून की गति भी तेज हो जाती है। 
  • हाथ और पैरों के तलुओं में जलन-सी होती रहती है। आँखें भी जलती हैं।
  • अचानक बहुत तेज बुखार
  • लू लगने पर शुष्क त्वचा, उल्टी, दौरे या चक्कर आना, बेहोशी, मांसपेशियों में कमजोरी के लक्षण होते हैं।
लू लगने के कारण
  • लू में बाहर जाना
  • तरल पदार्थ या पानी कम पीना
  • गर्मियों में खाली पेट बाहर जाना
  • बहुत ज्यादा शराब पीना
  • धूप में अधिक समय तक बाहर रहना
लू से बचने के उपाय
  • हर आधे घंटे में २००-३०० मिली. पानी पी ले। पूरे दिन में ५-६ लीटर पानी पीने से लाभ होता है। साथ में हमेशा पानी की बोतल रखे। • गर्मी के दिनों में हल्का व शीघ्र पचने वाला भोजन करना चाहिए। बाहर जाते समय खाली पेट नहीं जाना चाहिए।
  • लू से बचने के लिए दोपहर के समय बाहर नहीं निकलना चाहिए। अगर बाहर जाना ही पड़े तो सिर व गर्दन को तौलिए या अंगोछे से ढँक लेना चाहिए। अंगोछा इस तरह बाँधा जाए कि दोनों कान भी पूरी तरह ढँक जाएँ। • गर्मी के दिनों में बार-बार पानी पीते रहना चाहिए ताकि शरीर में जलीयांश की कमी नहीं होने पाए। पानी में नींबू व नमक मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीते रहने से लू नहीं लगती। • गर्मी के दौरान नरम, मुलायम, सूती कपड़े पहनना चाहिए जिससे हवा और कपड़े शरीर के पसीने को सोखते रहते हैं। • गर्मी में ठंडाई का सेवन नियमित करना चाहिए। मौसमी फलों का सेवन भी लाभदायक रहता है जैसे, खरबूजा, तरबूज, अंगूर इत्यादि। • शराब या मस्तिष्क प्रभावित करनेवाली दवाएँ कतई ना ले।
लू लगने पर किये जाने वाले प्राथमिक उपचार
• लू लगने पर तत्काल योग्य डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर को दिखाने के पूर्व कुछ प्राथमिक उपचार करने पर भी लू के रोगी को राहत महसूस होने लगती है। • बुखार तेज होने पर रोगी को ठंडी खुली हवा में आराम करवाना चाहिए। • पीड़ित व्यक्ति को पहले छांव में ला कर हवा का इंतजाम करें। • 104 डिग्री से अधिक बुखार होने पर बर्फ की पट्टी सिर पर रखना चाहिए। • हाथ पैर की मालिश करे जिससे रक्त संचरण प्रभावित होता है। • प्यास बुझाने के लिए नींबू के रस में मिट्टी के घड़े अथवा सुराही के पानी का सेवन करवाना चाहिए। बर्फ का पानी नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि इससे लाभ के बजाए हानि हो सकती है। • रोगी के शरीर को दिन में चार-पाँच बार गीले तौलिए से पोंछना चाहिए। • चाय-कॉफी आदि गर्म पेय का सेवन अत्यंत कम कर देना चाहिए। • गर्मी के दिनों में प्याज का सेवन भी अधिक करना चाहिए एवं बाहर जाते समय कटे प्याज को जेब में रखना चाहिए।
लू लगने पर घरेलू उपचार
• इमली का पका हुआ गूदा पीड़ित व्यक्ति के हाथ और पैरों पर मला जा सकता है। • रोगी को तुरंत प्याज का रस शहद में मिलाकर देना चाहिए। • जौ का आटा व पिसा प्याज मिलाकर शरीर पर लेप करें तो लू से तुरंत राहत मिलती है। • कैरी का पना विशेष लाभदायक होता है। कच्चे आम को गरम राख पर मंद आँच वाले अंगारे में भुनकर, ठंडा होने पर उसका गूदा निकालकर उसमें पानी मिलाकर मसलना चाहिए। इसमें जीरा, धनिया, शकर, नमक, कालीमिर्च डालकर पना बनाना चाहिए। पने को लू के रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर में दिया जाना चाहिए। • लू लगने पर प्या ज के रस से कनपटियों और छाती पर मालिश करें। जल्दी आराम मिलेगा। • आलू बुखारे को गर्म पानी में डाल कर रखें और उसी पानी में मसल लें। इसे भी आम के पने की तरह बना कर पीने से लू लगने से होने वाली जलन और घबराहट खत्मं हो जाती है। • भुने हुए प्याेज को पीस कर उसमें जीरे का चूर्ण और मिश्री मिलाकर खाने से लू से राहत मिलती है। • इमली को भिगो कर उसका पानी पीने से लू अपना असर नहीं दिखा पाती है। • तुलसी के पत्तों का रस चीनी में मिलाकर पीने से लू नहीं लगती है। • लू लगने पर प्या ज के रस से कनपटियों और छाती पर मालिश करें। जल्दीह आराम मिलेगा। खाने के साथ कच्चाय प्यारज खाइए और लू को दूर भगाइए।
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